संजय कहता है,
की खुद”को I
खुद के अंदर,
ही सर्च करो I
अपने कर्माें पर भी,
कभी तो रिसर्च करो।
तभी हमें जीवन का,
सही मूल्यांकन मिलेगा।
हम कितने सही और,
कितने गलत हैI
यही पर हमें और,
आप को पता चलेगा।।
अहम् से ऊँचा ,
कोई आसमान नहीं।
किसीकी बुराई करने जैसा,
आसान कोई काम नहीं।
स्वयं को पहचानने से,
अधिक कोई ज्ञान नहीं।
और क्षमा करने से बड़ा,
कोई दान नहीं।I
मनुष्य की चाल और ढाल।
धन से और धर्म से
भी बदलती है।
जो धन का उपयोग,
धर्म के लिए करते है I
वो सुख शांति और,
सम्बृद्धि पाते हैI
जो धनको अहंकार समझते है,
वो कही के भी नहीं रहतेI
यही मानव जीवन का,
सच्चा सार है।I
जो समझ गया इस,
मूलमंत्र को जीवन में।
जीवन उसका एकदम,
सफल हो जायेगा।
और अपने कर्मो के कारण,
फिरसे मनुष्य जन्म पायेगा।
और धर्म की ज्योत,
आगे भी जलायेगा।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुंबई)