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चुटकी भर सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो नरेन्द्र बाबू..
संजय यादव
महारथी कर्ण को अपना कवच कुण्डल उतारने में जितना दर्द नहीं हुआ होगा,उससे ज्यादा नेता लोगों को ‘लाल बत्ती’ उतारने पर हुआ है। क्योंकि….,एक लाल बत्ती की कीमत तुम क्या जानो नरेन्द्र बाबू… असलियत में सरकारी गाड़ी पर लालबत्ती तो उसकी मांग का सिंदूर होती है। किसी से सिंदूर छीनकर क्या अनुभव होता है,पूछिए ज़रा उससे।
खैर,बिना लाल बत्ती के हमारे अपने खड़े किए सफ़ेदपोश नेताओं की सरकारी गाड़ी विधवा लगेगी। बत्ती निकालने की बत्तीबाजी है या क्या सही में बत्तीबाज वीआईपी सुविधाओं को भोगना बन्द कर देंगे। क्य्ये नेता पीएम नरेन्द्र मोदी को जताने-बताने की खातिर महंगी कारों में घूमना ही बन्द कर देंगे? क्या ट्रैफिक सिग्नलों पर अब आम जनता को घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा? बत्ती के बिना भी नेता जी निकल जाए, फिर कहीं जाकर आम जनता अपने नियत स्थान पर पहुँच पाएगी। जनता की सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपयों से तैयार सड़कों पर क्या अब नेताजी टोल टैक्स भी चुकाएंगे या बत्ती सिर्फ दिखावे के लिए सिंदूर की तरह ही उतारी है। लगता यही है कि,इनकी झाँकीबाजी कायम रहेगी। वीआईपी सुविधाओं को छोड़ने का दावा कर रहे ये बत्तीबाज नेता जब सरकारी खजाने को खाली करना बन्द कर देंगेतब ही बत्ती उतारने का असली मकसद साबित होगा। जब नेताजी सरकारी पैसों से निजी खर्च बन्द कर देंगे,तब ही नेता जी से जनता खुश होगी।बत्ती छोड़ने से के बाद नेताजी आपको आपकी बत्तियों की कसम…कृपया ये नौटंकी बन्द कर दीजिए और जनता को उल्लू बनाना भी छोड़ दीजिए।
सवालों के सारथि बनते-बनते कब आप खुद सवाल बन बैठे , समझ से परे है |बत्ती का महिमा मन्डन नहीं बल्कि उसके बाद होने वाली असुविधाओं से कम से कम जनता परेशान ना हो यह ज़रूरी है|
#संजय यादव
परिचय : संजय यादव इंदौर में खण्डवा रोड पर रहते हैं और जमीनी रुप से सक्रिय पत्रकार हैं। आपने एम.कॉम,एम.जे. के साथ ही इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से एमबीए भी किया है। कई गम्भीर विषयों पर आप स्वतंत्ररुप से कलम चलाते रहते हैं।
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अच्छा कटाक्ष,अच्छा व्यंग।