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उठा कलम तू तूणीर से
यही तेरी तलवार है।
छद्म आवरण ढके हुए जो
उनको यही ललकार है।
झूठ का अनावरण
सच को न ढक पायेगा
तू निडर निर्भीक बढ़
घनघोर अंधेरा छंट जाएगा।
तू आवाज है दिन की
सिक्कों की झनकार नहीं
ईमान तेरा नीलाम हो
मरा है वो इंसान नही।
कर्म पथ स्वाभिमान तेरा
हौसला तेरा पतवार हो
सच को सच ही लिखना
यलगार हो यलगार हो
#अविनाश तिवारी
अमोरा जांजगीर चाम्पा
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