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काली-काली हे बदरिया
पिया से जा के क ह संदेशिया
ऐसे में, सजन काहे हैं परदेशिया।
कैसे कहू मैं काली बदरिया
पिया के संदेश ना’ नाही कोई खबरिया
काली काली बदरिया▪▪▪▪▪
जब जब हो, चमकत बिजूरिया
तन-मन में उठत हिलोरिया
काली-काली बदरिया
पिया से जा के क ह संदेशिया
ऐसे में, सजन काहे हैं परदेशिया।
विरह की रात काली,काली है बदरिया
जीवन की साज खाली, खाली है नगरिया
जब से पिया गये है परदेशिया
अपनी तो जीवन की न कोई डगरिया
काली -काली बदरिया
पिया से जा के क ह संदेशिया
ऐसे में, सजन काहे है परदेशिया।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति
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