बंदर जी ने ब्याह रचाया |
दावत पर सबको बुलवाया ||
बड़े प्यार से भोजन बनवाया |
हंस-हंस के सबको खिलवाया ||
सबने चख-चख मजा उड़ाया |
इडली – डोसा सबको भाया ||
चाट-चटपटी, दही थी खट्टी |
कौआ पी गया सारी घुट्टी ||
छैना – गुलाब जामुन, हलवा पूरी |
बिल्ली खा गई गरमा-गरम कचौरी ||
शाही मटर-पनीर सबको भाया |
भिण्डी ने भी खूब रंग जमाया ||
गोभी पकौड़ा चख – चख खाया |
खीर का थोड़ा- सा लुफ्त उठाया ||
सबने मिल बंदर जी की करी बडाई |
बंदर जी को मिल गई सुंदर लुगाई ||
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl