किया एक यज्ञ जब राजा दक्ष ने
बुलाया न अपनी बेटी सती को
समाचार जब सुना सती ने
हठ किया शिव को साथ चलने
लाख मनाया शिव शंकर को
न माने जब शिव शंभु तो
चल पड़ी अकेली ही घर पिता के
जैसे ही पहुँची यज्ञ सभा में
देखा बैठे हैं सभी मुनि श्रेष्ठ आसन
और विराजे सभी देव गण वहाँ
अचंभित सी खड़ी भरी सभा में
पूछा पिता दक्ष से फिर
सबको तो ससम्मान बुलाया है
एक मुझको ही न बुलाया
इतना घोर अपमान किया
आपने मेरे स्वामी का
मेरा न सही
शिव का भी न मान किया
सच कहा था स्वामी ने
न जाओ प्रिये तुम यज्ञ सभा
मैं ही पितृ प्रेम में खिंची चली आई
पर जहाँ मेरे स्वामी का अपमान हो
वहाँ न मैं एक पल रह पाऊँगी
क्रोध बहुत आया सती को जब
आवाहन किया अग्नि देव का
प्रचंड *अग्निशिखा* निकल रही थी
हवन कुंड से
कूद पड़ीं फिर माता सती उस
तप्त अग्नि कुंड में
भस्म हो गईं सती महारानी जब
पहुँचे शिव फिर यज्ञ स्थल पर
गोद उठा देवी सती के शरीर को
किया तांडव फिर शिव ने
जहाँ जहाँ गिरे देवी सती के अंग
स्थापित हुए बावन शक्ति पीठ तब
#अदिति रूसिया
वारासिवनी