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दर्द भरा है अभी तेरी मां के दिल में,
मैंने तो अपने दिल को समझा दिया ।
मगर तू तो हो गया पत्थर दिल बेटा,
घर तूने जब से अलग बसा लिया ।
कैसे भूलूं मैं जिंदगी का वो दिन बेटा,
जब तू चुपके से कोख में आया था ।
अरे, झूम उठी थी तेरी पगली मां तब,
चेहरे पे मानो स्वर्ग सा सुख छाया था ।
कितनी मन्नतें मांगी थी तेरे लिए हमनें,
कितने ही मंदिरों में सर झुकाया था ।
क्या – क्या बाधाए नहीं रखी थी हमने,
कहां – कहां नहीं ताबीज बंधवाया था ।
तेरे आने की खुशी में, सुन रे पगले,
पूरे गांव को दो दिन तक जिमाया था ।
मेला लग गया था पूरी गली में मानो,
सावन में दिवाली सा उत्सव छाया था ।
हथेली पर रखा हरदम तुझको बेटा,
दर्द में भी खुशियों का दीप जलाया था।
अरे, पूछ अपनी उस भोली मां को तू,
गीले में सोके भी क्या आनंद मनाया था
हर ख्वाहिश तेरी पूरी की थी हमने,
तेरी खुशियों में अपना दर्द भूलाया था ।
बिछा दिया तेरी राहों में कलेजा अपना,
नहीं परवरिश पे कोई दाग लगाया था ।
भूल गए थे हम अपने सपने सारे,
बस तुझ पर ही सारा दिल लुटाया था ।
पसीने की हर एक बूंद में थे तेरे सपने,
बूंद – बूंद से तुझको काबिल बनाया था।
कहां चूक हुई हमसे बता जरा, ऐ बेटा,
तूने यह कैसा अपना कदम उठा लिया ।
ब्याह रचाया तेरा खुशी – खुशी और,
तूने अपना घर ही अलग बसा लिया ।
अरे उन बूढ़ी आंखों का तो सोचा होता,
तूने ममता का यह कैसा सिला दिया ।
तन निचोड़ के अमृत पिलाया तुझको,
और तूने जीते जी ज़हर पिला दिया ।
लुटाई थी हमने तो अपनी जिंदगी सारी,
तूने उसको अपना फर्ज बता दिया ।
वाह रे, मेरे प्यारे संस्कारी बेटे तूने,
यह कैसा अपना कर्ज चुका दिया ।
मन में थी अगर उलझने हमें लेकर तो,
सुलझन की कोई राह निकल आती ।
तुझ बिन कहां कोई है हमारा जग में,
क्या ये बात नहीं ज़रा भी समझ आती ।
बदले चाहे सारी ज़मीं आसमां मगर,
हमारी सोच में नहीं बदलाव आएगा ।
तू तो अब भी वही मुन्ना है हमारे लिए,
दिल से सदा दुआ का ही ‘स्पर्श’ पाएगा ।
आज भूला है हमको तू मगर बेटा,
बुढ़ापे में यह बूढ़ा बाप याद आएगा ।
तब होगा पश्चाताप जरूर तुझको,
मगर सिर्फ हाथ मलते रह जाएगा ।
कुछ दिन के ही बस मेहमां है हम तो,
एक दिन यूं ही चुपके से चले जाएंगे ।
पर आंसू ना बहाना हमारी मैयत पे तू,
मर के भी ना सुकूँ से हम मर पाएंगे ।
एक मशवरा तुझे जरूर देना चाहूंगा बेटे,
औलाद को इतना भी ना काबिल बनाना,
जो भूल जाए मां बाप के उपकारों को,
और बुढ़ापे में रह जाए सिर्फ पछताना ।
सुशील दुगड़ “स्पर्श”
अंकलेश्वर(लुहारिया)
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