प्रीत का रोग 

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jaswant
प्रीत का रोग लगा मुझे , नींदे उडी रात की ।
तुम अलबेली शाम हो ,  मेरे प्यारे गाँव की ।।
प्रेमरस में खो जाता , इंतजार में कटे रतिया ।
हे खुदा उससे मिला , बरसती है ये अंखिया ।।
चाँद देख उसे याद करू , तारों की मैं सैर करु ।
तेरे प्यार में पागल हूँ , सपनो में तेरी मांग भरु।।
तेरी एक झलक पाने , दिन भर मैं राहे तकता ।
पागल प्रेमी आवारा मैं ,खाना पीना भी तजता ।।
तुझसे मैं आँखे मिलाता , शर्म से नैन झुक जाते ।
कोमल हाथो के स्पर्श से,रोम-रोम मेरा महकाते।।
तेरे ख़ातिर जीवित हूँ मैं , तेरे ही सपने बुनता ।
चलता अगर मेरा राज , हमसफ़र तुझे चुनता ।।
सुनो तुम मेरी बन जाओ, परी बना कर रखूंगा ।
जीवन के इस सफर में,पलकों पे बैठा के रखूंगा।।
बारिश का मौसम सुहाना , आ गयी बरसात भी ।
तुम आ जाओ ना सजनी , देर है किस बात की ।।
जसवंत का जीवन अधूरा ,आस तेरे साथ की ।
तुम अलबेली शाम हो , मेरे प्यारे गाँव की ।।

नाम – जसवंत लाल बोलीवाल ( खटीक )

पिताजी का नाम – श्री लालूराम जी खटीक ( व.अ.)

माता जी का नाम – श्रीमती मांगी देवी

धर्मपत्नी – पूजा कुमारी खटीक ( अध्यापिका )

शिक्षा – B.tech in Computer Science

व्यवसाय – मातेश्वरी किराणा स्टोर , रतना का गुड़ा

राजसमन्द ( राज .) 

matruadmin

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