इधर सोशल मीडिया पर ‘कौए-कोयल’ के नाम पर जारी नए पुराने हिसाब चुकाने का खेल देखकर लगता है,जैसे इस बार शीत के बाद ‘बसंत’ नहीं, ‘पतझड़’ आ गया हो। पिछले दिनों बेशक कुछ अलग कारणों से ही सही, साहित्य जगत में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए गए,लेकिन वे विवादों में उलझकर अपने उद्देश्य […]
मातृभाषा
मातृभाषा
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा हिन्दी और भारतीय भाषाओं की शोध पत्रिकाओं को सूची से बाहर कर देना अनुचित,अतार्किक और अव्यावहारिक निर्णय है। जब संविधान और राष्ट्र हिन्दी के साथ है,तो फिर आयोग को भारतीय भाषाओं से गुरेज क्यों है? अब समझ आया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यूजीसी (यूजीसी ) […]