हालातों की बेड़ियों से बंधा, ‘बंदा ‘वो बड़ा मजबूर है। बहना के ब्याह की चिंता से, वो आज घर से बहुत दूर है। ज़ख्म पर नमक डालकर, उसके घाव को हम करते नासूर हैं। बाल बिखरे,कपड़े व्यवस्थित नहीं, तो समझते उसको हम धूर्त हैं। रहन-सहन में परिवर्तन करे तो कहते […]
काव्यभाषा
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