स्त्री पुरुष-एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी या पूरक यह विषय आज भी बहुत महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है। इस पर मेरे विचार स्त्री होते हुए भी थोड़े अलग हैं। मैं मानती हूं और चाहती भी हूं कि स्त्री, पुरुष यदि पति-पत्नी हैं तो पूरक ही हैं, बशर्ते कि दोनों एक-दूसरे के लिए […]

दुखी कोई न रहे, ऐसी रखिए कामनाl नहीं होगा तुम्हारा, विपत्तियों से सामनाl परहित चाहने वाले, सदा फायदे में रहतेl कष्ट कभी न हो उन्हें, सदा सुखी वे रहतेl मन भी उनका सदा प्रफुल्लित रहता, गैरों को गले लगाकर आत्मसुख वह पाताl दुर्गुण उनके पास न आएं, परमात्म ज्ञान वह […]

आँखों में ठहरी ये कैसी नमी है, कोई खुशी है या मातम-गमी हैl ये शाम भी है क्यों उदास-सी, हवा भी आज क्यों अनमनी हैl तुमसे मिल के क्यूं आंख भर आई, तुम साथ हो,फिर भी ये कैसी कमी हैl तुमने कभी दिल से चाहा भी था हमें, ये सच […]

ये पीड़ा वो पीड़ा, जाने कितनी पीड़ाओं में व्यक्तित्व दबा है। देह पीड़ा में रोगों की छाया से, शरीर कुंद हुआ। मन पीड़ा में ह्रदयाघात हुआ, अंर्तमन अंत:पीड़ा में अवचेतन शून्य हुआ, समाजिक पीड़ा में मानंसिक कुठा पैदा हुई, सबके-सब पीड़ा में हैं। और ये मिलती कहाँ से खुद मुझसे, […]

चाँद-सा चेहरा तेरा, दिल खिला-खिला तेरा मोर की मोरनी तू, फूल की कली तू। रात अंधेरा नहीं था, दिन उजाला नहीं था सूरज डूबा नहीं था, चाँद उगा नहीं था। पेड़-पौधे खिलखिलाते रहे, कलियां मुस्कुराती रही चिड़िया चहचहाती रही, भँवरे मुस्कुराते रहे। नेता नेतागिरी करते रहे, अभिनेता अभिनय करते रहे […]

गैर की नजरों से गिरे तो कोई बात नहीं, अपनी नजरों से गिरकर कहां जाइएगा। हासिल न हुई शोहरतें तो कोई बात नहीं,                                                    स्वाभिमान गिरा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।