(बाल-दिवस विशेष) न जाने कहाँ खो गया, बच्चों का बचपन। न जाने कहाँ से आ गया, बच्चों में बड़प्पन ? हैलो हाय के चक्कर में, भूल गए करना नमन। ईश्वर का दर्शन नहीं करते, करते हैं सदा दूरदर्शन। गुड मॉर्निंग उठते ही कहते, करते नहीं अब अभिनंदन। बुजर्गों के संस्कार […]

जब तक मन में चाह थी, तब तक मिली न राह। राह मिली अब तो नहीं, शेष रही है चाह॥ राम नाम की चाह कर, आप मिलेगी राह। राम नाम की राह चल, कभी न मिटती चाह॥ दुनिया कहती युक्ति कर, तभी मिलेगी राह। दिल कहता प्रभु-भक्ति कर, मिल मुक्ति […]

उनसे जीत हो नफरत में तो हार मोहब्बत में अच्छा, बेगानेपन के भावों से संसार मोहब्बत में अच्छा। चाहा है उनको लेकिन सम्मान,आन और मान भी है, झुक जाए बेवजह ये सर तकरार मोहब्बत में अच्छा। कद्र तेरे जज्बातों की है, पर क्या मेरे भाव नहीं हैं। चुप रहने से […]

जगत पिता है एक ही सबके, ओम,अल्लाह या ओमेनl खून का रंग भी एक सबका, भारत,अमेरिका या ब्रिटेनl नवजात रुदन एक है सबका, भाषा-शैली,पहनावा,अनेकl मैं रूपी है सबमें ज्योति बिन्दु एक, नूर-ए-इलाही,लाईट ऑफ गॉडl एक ही है परम ज्योति परमात्मा, जन्म-मरण की गति एक हीl सबका पिता है एक परमात्मा, […]

आज बहने लगी यादों की धारा, स्मृति ने एक सुन्दर दृश्य उभाराl  सुहानी शाम का प्यारा, मेरे गाँव का खूबसूरत नजाराl    दूर तालाब के उस किनारे, दिनमणि अपने धाम सिधारेl  संध्या छाई गगन पटल में, धीमे कदमों की आहट मेंl    रक्ताभ सुनहरी नारंगी, सुरमई श्याम पचरंगीl  सांध्य तारे […]

(बाल दिवस विशेष)  याद आते हैं,दिन पुराने, बचपन के वो खेल-तमाशे थे कितने वे पल सुहाने। लुका-छिपी खेलते-खेलते, खो-खो में खो जानाl गिल्ली हो या गेंद लपकने जी भर दौड़ लगाना। लँगड़ी,पिट्ठू या कबड्डी, रोज ही मन ललचाते थेl इतने पर भी लगे अधूरा,तो दंड-बैठक खूब लगाते थे। जाने कितनी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।