सुहानी यादों को मैं आज ताजा कर रहा हूँ। बैठकर बाग में उस चाँद को पहले की तरह ही आज। अपनी आँखो से तुम्हें देखकर उसी दृश्य की परिकल्पना कर रहा हूँ।। ओढ़कर प्यार की चुनरिया, चांदनी रात में निकलती हो। तो देखकर चांद भी थोड़ा, मुस्कराता और शर्माता है। […]

जीवन परमात्मा की देन है जीवन को न तू अपना मान जीवन के हर एक क्षण को जीवन का अंतिम क्षण मान हर क्षण पुरुषार्थ का हो ध्यान मिले सदा ही प्रभु का ज्ञान निरहंकार रह जीवन जियो जीवन अमानत प्रभु की जान कर्म कोई ऐसा न होने पाये जिससे […]

बेशक शब्दों में चिंगारी रखो लेकिन अच्छे लोगों से यारी रखो कवि हो तुम कवि धर्म तुम्हारा निष्पक्ष अपनी कलमकारी रखो कहते हैं आईने हो तुम समाज के बेशक लेखन अपना जारी रखो कहते हो गर कलमकार खुद को कलम के प्रति वफ़ादारी रखो लोग चाटुकारिता पर उतर आए शर्म […]

फाल्गुन मे फाग उड़ाए सखी तूने, अब चैत्र का मास आ गयो है। धरा बसंती अब हो गई है, मस्ती का मौसम छा गयो है। कोयल कूक रही बागन में, आम पर बौर आ गयो है। भौरे मंडरा रहे है फूलों पर, मिलन का मौसम आ गयो है।। छोटी छोटी […]

अभिलाषाओं को अभिव्यक्त करती , भावनाओं को चित्रित करती , कल्पनाओं के सिंधु में अनुपम अलंकृत होती , वह है अतुल्य अनुपम हिंदी । मां वाग्मयी के आशीर्वाद की तरंगिणी , काव्य का आलौकिक अल्हाद ,अनुभूति का सृजन , वर्ण से अक्षर तक नवल गीत अनंत रंगीनी , कभी चारु […]

मन में भाव आते हैं तो लिखता हूं। दिल में दर्द होता है तो लिखता हूं।। किसी का कुछ न लेता हूं न बिगाड़ता हूं। केवल अपने उदगारो तो मैं लिखता हूं।। दीवार के सहारे खड़ा हूं तेरा क्या लेता हूं। केवल अपने दिल की तपिश बुझा लेता हूं।। तू […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।