प्रिय सत्रह साल के दिसम्बर एक गुजारिश है तुझसे, वैसे मांगने की कोई जरुरत नईं , पर मेरी इंसानी फितरत ही है… किसी-न-किसी से कुछ-ना-कुछ, मांगते ही रहने की माता से,पिता से, भाईयों से,बहनों से,दोस्तों गुरूजनों से,अनाकलनीय शक्ति से, भगवान से,ईश्वर से,अल्लाह से… परमपिता से,और न जाने किस-किस से… लेकिन […]
काव्यभाषा
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