धूल लगी उस किताब को, क्या फिर से खोल पाओगे…l जो गुजर गई है बातें सारी, क्या उन्हें फिर से दोहराओगे…ll माना काबिल बहुत हो तुम, और गम से तुम बेगानी हो…l खूबसूरती की जो शमा जले तो, तुम परियों की रानी हो…ll तुम्हारी मदमस्त आंखों से क्या, […]
काव्यभाषा
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