वर्त्तमान को छोड़कर, भविष्य के बारे में सोचा / और हंसती हुई जिंदगी को, बिना खुशियों के यू ही गमाया / और सजा सजाया वर्तमान को I भविष्य और बुढ़ापे के नाम पर, यू ही गमाया /1I ज़िन्दगी से लम्हे चुरा कर, बटुए मे रखता रहा I फुरसत से खर्च […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
