शिव साधना करते रहो चाहे सुबह हो या शाम शिव ही पार लगाएंगे रहते है जो परमधाम शांति के परिचायक शिव आनन्द के जनक है शिव विकार सारे हर लेते पावन सबको बनाते शिव याद शिव की बनी रहे ऐसे करो तुम अपने काज् जीवन सफल हो जायेगा शिव पहनाएंगे […]
काव्यभाषा
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(1) नमस्कार भी है नहीं,उनको क्यों स्वीकार। मेरी अच्छी पोस्ट भी,देते वह दुत्कार।। देते वह दुत्कार,रहें निज भौंहें ताने। तुले हुए जो लोग,झूठ को सत्य बताने।। कह सतीश कविराय,न उगलें निज गुबार भी। सरस नहीं स्वीकार,है जिनको नमस्कार भी।। (2) मंच दिलाने बढ़ रहे,प्रतिभाओं को चोर। कलियुग की महिमा सरस,फैली […]
