हम शब्दों की दीपशिखा हैं हम भावों की जलती मशाल हम वीणापाणी के वरद पुत्र हम चेतनता की लपट ज्वाल हमने अपने शब्दों से सदा साहस को परिभाषा दी है टूटे दिल को ढ़ाढस देकर जीने की नव आशा दी है धरती को माता मान सदा हमने कीर्ति का गान […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
कब दीवारों से झाँकता है कोई, मुझको शायद मुगालता है कोई, ==================== मुड़ के देखा हवा का झोंका था, लगा ऐसे पुकारता है कोई, ==================== रूबरू होती है मुलाकातें, अब कहाँ चिट्ठी बांचता है कोई, ==================== इस तरह आजकल वो मिलता है, जैसे एहसान उतारता है कोई, ==================== तुम्हें मालूम […]
