शाम ढले वो कुछ अलकसाया सा था। दिन भर की थकन से मुरझाया सा था।। अजीब सी बेचैनी चेहरे पर तैर रही थी उसके। जिम्मेदारियों से वो कभी ना घबराया था।। आज एक तरफ ही उसका ध्यान था। बच्चे परेशां क्यों थे उसके वो हैरान था।। कभी अपने दर्द पर […]
काव्यभाषा
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