अपने खेतों,अपने बगीचों में जहर क्यों बो रहे हो मासूमों के चेहरे सियासी खून से क्यों धो रहे हो तुमने ही खुद जलाई हैं सारी की सारी बस्तियाँ अब अपना घर जला तो इस तरह क्यों रो रहे हो बच्चियाँ लुट गईं, खत्म हो गईं सब तहज़ीबें एक दिन सब […]
काव्यभाषा
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