दोस्तों के हौसला-अफजाई से, हर बुलंदियों को भी कदमों में झुका लूं। ये दोस्त तेरी दोस्ती में तो, तेरे हर गमों को भी सर पे उठा लूं।। इस दुनिया के समस्त चराचर, एक दिन बिखरे पंचतत्व हो जाएंगे। बस कर्म, मां बाबूजी और मित्र हीं हैं ऐसे, जिनकी यादें अनंत […]
काव्यभाषा
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