वो दोहरे किरदार में मिलते है नेता देखो तकरार में मिलते है दल बदलते ढंग बदलते अब बदलाव व्यवहार में मिलते है चला रहे अपनी ही मनमानियां गुण जैसे रंगदार में मिलते है गुस्से पर भी अपने काबू नहीं सीन सारे अखबार में मिलते हैं गरीबों से वास्ता कहा रखते […]
काव्यभाषा
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