मेधा जब भी मुखरित होगी निजता का सन्दर्भ हटेगा, चेतन जब भी जागृत होगा अंतर्मन का क्लेश घटेगा, सुरभित होगा मन का स्वर मन से जन के मीत बनेंगें आशाओं के दीप जलेंगे। मन का कलुष भगायें यदि हम क्षमाशीलता तब जागेगी, सहिष्णुता की अलख जगेगी […]
काव्यभाषा
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