काम धर्म अर्थ मोक्ष चार मान कामना, समूल पाप का विनाश हो यही सुभावना। साधु संत पीर मान धर्म रीत प्रीत की, प्रतीत पाल शूर वीर धैर्य नीति पालना। काल चक्र मीत वक्र सत्य बात मान तू, सरोज के समान कीच बीच,आत्म साधना। हानि लाभ मृत्यु जन्म ईश हाथ मान […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
जुल्फ-घनेरी बिखरी-बिखरी झील सी आँखें नीली-नीली। नजर हमारी ठहरी-ठहरी बात तुम्हारी बिखरी-बिखरी। मन चंचल मचल-मचल अल्हड़ बनाए डगर-डगर। ठिठक जाए संभल-संभल होठ गुलाबी संवर-संवर। चाल शराबी कमल-कमल नशीली आदाएँ कहर-कहर। बात का जादू सफल-सफल मदहोश करती पहर-पहर। लो आ गयी गहरी-गहरी रात निराली ठहरी-ठहरी चाँद की चाँदनी फैली-फैली खूबसूरती तुम्हारी […]
