चाहत है शिखर पर बैठकर आसमान छू लूँ। मैं बादलों को हाथों मे लेकर,जी भर खेलूं। मैं किरणों की कूची से चित्र निर्मित करूं सुनहरे सूरज से मांगकर चमकीला रंग ले लूँ। पत्थरों से निकल झरना बन विस्तार पाऊं गुनगुनाती सरिता बन गहरे समुद्र से मिल लूं। जंगल के ऊंचे […]
काव्यभाषा
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