खगवृदों के सभापति से, नन्हीं चिड़िया मिलने आई | अश्रुपूरित नयन थे उसके, चोंच में अपनी “अर्जी” लाई| मदद करो तुम भाई मेरे, मेरी जान पर आफत आई| बच्चे मेरे कहाँ खो गए, जिनको दुनिया में थी लाई| दाना लेने मैं गई थी, छोड़ आँख के तारों को | नींद […]
काव्यभाषा
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