एक था बातुक उसे दोस्ती थी राज कुमार से वह जब कहीं जाता बातुक को अपने साथ ले जाता। एक दिन वे दोनों जा रहे थे धने जंगल सून-सान विरान राहों पर राजकुमार ने पूछा? बातुक कुछ बोलो! ऐसे चुप क्यो हो? बातुक कुछ सोचकर बोला! राजकुमार- “हम तुम एक […]
काव्यभाषा
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मुड़-मुड़कर वो आवाज लगाती आहिस्ता-आहिस्ता, फिर मुझे देख कर वो यूँ शर्माती आहिस्ता-आहिस्ता। सखियों से पूछा करती थी वो अक्सर मेरी कुशलक्षेम, बस अपने दिल का हाल छुपाती आहिस्ता-आहिस्ता। हल्की बारिश,मीठी सी छुअन,एहसास भुला न पाई वो, मुझ से मिलने की जुगत लगाती आहिस्ता-आहिस्ता । ईमान,वफ़ा,संग,क़स्मे,वादे,बीते पल सब हैं याद […]
