आज भी लुट रहा है, चीर नारी का। नारी, हर किसी पर है भारी। लेकिन न जाने क्यों हो रही है उसके साथ घटना दिन प्रतिदिन। कहते भी है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता” , फिर भी कर रहे हैं, छल,कपट,अत्याचार नारी के साथ, हम और आप मिलकर। […]
काव्यभाषा
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