जो रहगुज़र हो जाए तेरे तन बदन का मुझे वही झमझमाती बारिश कर दो तुमसे मिलते ही यक ब यक पूरी हो जाए मुझे वही मद भरी ख़्वाहिश कर दो जो रुकती न हो किसी भी फ़ाइल में मेरी उसी “साहेब” से गुजारिश कर दो गर लैला-मजनूँ ही मिशाल हैं […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
माता-पिता के आँगन, प्रेम मिला खुशहाल, खेलकूद कर हम, बचपन से पली। मन में कपट न था, मिला मूझे आशीर्वाद, रस्म-रिवाज विवाह, पूरा करने चली। रंगा-रंग कार्यक्रम, बारात लेकर आये, घर-द्वार सजा सब, सहनाईयाँ बजी। कन्या-दान दिये पिता, किये अपने से जुदा, नवाचार शुरुआत, करने आगे बढ़ी। माता-पिता का जगह,सास-ससुर […]
