नदी पहाड़ और जंगल सुरक्षित रहेंगे तो होगा सबका मंगल ही मंगल। नदी की रफ्तार, बँध चुकी जबसे बही नही कभी मन से वायुमंडल में बढा दंगल ही दंगल। पहाड़ को बाँटकर टुकडो में हिला दिया उसका भी इरादा अब दंगल ही दंगल। जंगल की कटाई रास न आयी गर्मी […]
काव्यभाषा
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ख्वाब आँखों में जितने पाले हैं सब के सब टूट जाने वाले हैं ==================== जो पसंद हो वही नहीं मिलता खेल कुदरत के भी निराले हैं ==================== हमें तुम क्या मिटाओगे, हमने सीने में तूफान पाले हैं ==================== कोई आवाज़ न उठाएगा यहां सबकी ज़ुबां पे ताले हैं ==================== कहीं […]
