कैसे कैसे जिन्दगी ने दिन है दिखलाये। कभी रो दिये हम, कभी मुस्कराये। इजतराब ऐ शौक हमसे न पूछिये देखा जो उन्हे,साँस भी न ले पाये। एहतराम मोहब्बत का करेगें ताउम्र इससे ज्यादा हमको न आजमाये । मरना तो हमको, वैसे भी है यारा क्यू न हम फिर,तुम पे ही […]
काव्यभाषा
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