आया प्रकृति पर्व है, मनाओ सब उल्लास बच्चो के संग में,पतंग उड़ाओ आकाश।। खूब खिले है चेहरे,दान पूण्य गहरे थाली सज रही है,तिल गूड पसरे।। आनंद की हवा चली,रंगीन हुआ गगन प्रकृति की अनमोलता से, कम हुई चुभन।। ठिठूरती हुई कलियाँ भी, खिलेंगी शाम सुबह चहुँ ओर गूँजेगी संगीत, भँवरे […]
काव्यभाषा
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