जो सत्य की राह पर चलता है उसुलो की चासनी मे पकता है झूठ से कभी नही डरता है वही राजा हरिश्चंद्र बनता है जो परमात्मा को मानता है परमात्म राह अपनाता है परमात्म मत पर चलता है वही परमात्म सुख पाता है आओ हरिश्चंद्र हम बन जाये जनता के […]

कैंसर की ये बीमारी , जान लेती है हमारी। डसे नागिन सी ये हमको, इसका हर दंश है भारी। आए छुपते छुपाते ये, ना कोई शोर है करती। भनक लगे जब हमको, अंतिम वार ये करती। तन का खून है चूसे, लूटे दौलत हमारी ये। बुझाती दीप जीवन का, करती […]

भीड़ और भेड़ों में कोई अंतर नहीं दोनों ही अंधी होती हैं आंखें होते हुए भी … इनको टिटकारी मारो / बस थोड़ा सा उकसाओ बगैर कुछ सोचे – समझे कूद पड़ती हैं मरने, मारने के लिए । आजकल भीड़ बहुत बढ़ती जा रही है अंध भक्तों के रूप में, […]

जनसरोकारों को भूल गए है राजा स्वहित साध रहे है स्वयं पांच लाख वेतन पा रहे है जनता को महंगाई से रुला रहे है किसान कंगाली मे बदहाल है व्यापारी बेचारा तंगहाल है गरीब की गरीबी बढ़ती जा रही उनकी अमीरी आकार बढ़ा रही आर्थिक असमानता मुहं चिढ़ा रही समाज […]

कल से कल तक मैं आज को ढूंढ रहा हूँ। जीवन के बीते पलो को, आज में खोज रहा हूँ। शायद मुझे वो पल आज में मिल जाये ।। गुजरा हुआ समय, कभी वापिस नहीं आता। मुँह से बोले शब्द भी, कभी वापिस नहीं आते। इसलिए बहुत सोच समझकर, शब्दो […]

नहीं लगा पाओगे इसका अनुमान कौन है जहान में कितना परेशान किसी के जीवन में है कितनी खुशी अंदाज़ा ना लगाना देख उसकी हँसी चाहत नहीं होती फिर भी चाहना पड़ता है ग़मों को छिपाकर मुस्कुराना पड़ता है बहते हैं उनके अश्रु भी जो सुख में जीवन जीते हैं दिखें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।