न रस है,न छंद हैं,न ही अलंकार हैं। कुछ शब्द ही हैं,जो जीवन का सार हैं॥ न दोहा,न चौपाई,न ही कोई छंद हैं। कुछ मुक्तक हैं,वह भी बस तुकबंद हैं॥ जीवन की सच्चाई,को लिख देता हूँ। जो भी मन में आए,बस कह देता हूँ॥ मुझे समझ नहीं,क्या होती व्याकरण है। […]
काव्यभाषा
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