(श्री गोस्वामी तुलसीदास जयन्ती) मोह रहे जनमानस को, कह राम-कथा तुलसी सु विरागी। देव-अदेव सभी नत हैं, महिमा सुनि प्रीति सदा उर जागी। राघव-प्रीति कृपा करुणा, बिन जीवित हैं हत आह! अभागी। श्री हरि रूप अनूप धरे, हरते हर पीर व्रती बन […]
काव्यभाषा
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