सुनो ! ये गीत तुम्हारे लिए है मेरे मन के हर भाव में, मैं तुम्हें हूँ पाती। दीपशिखा की भाँति॥ और जलती हूँ, जैसे प्रेम जोत की बाती॥ सुनो !! पाया है तुम्हें मन के हर अंधेरे कोने में, कहीं चुपके-चुपके घुटते रोने में, पीड़ा बन जाते हो कभी मन […]

अब आँख बन्द करके,गद्दारों को हमने ही मारा है। हर एक युद्ध में पाक ने,अपनी हारों को स्वीकारा है॥ शायद पाक फिर से,भूल गया है अपनी औकात को। यह याद दिलाने को ही,वीरों ने आंतकियों को मारा है॥ जिस आंतक के बल से,पाक ने हमें ललकारा है। उसकी औलादों को […]

कल रात तुम्हारा चन्दा आया था मेरे पास॥ कहता था, नहीं गुजारा बड़े-बड़े शहरों में अब, जितना चढ़ता ऊपर मैं उतना छोटा होता नभ। देखी नहीं चांदनी ने हरी-भरी कहीं घास॥ गगनचुम्बी, अट्टालिका पर चढ़-चढ़कर थक जाता हूं, स्याह साँपिनि सड़कों पर चल-चलकर, थक जाता हूं। कभी नहीं भर पाता […]

इस जगत में सबसे ऊँचा दर्ज़ा है तेरा…… बच्चे के रूप में जन्म देकर, ये संसार दिखाया तुमने। जब हम चलने के काबिल हुए तो, ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया तुमने। बचपन गुजरा तेरी ममता की छाँव में, जैसे कि, धरा पर स्वर्ग दिखाया तुमने। जन्नत है तेरे चरणों में, नारी […]

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दुःस्वप्न, संबंधित दुःख से, `दर्द` से जिए जाओ सर्द से। सदा कोई उलझन सदा कोई परेशानी। मिलती तो सही, खुशी कोई अनजानी पर नहीं, कुछ भी नहीं,कहीं भी नहीं। बस, ? दर्द से भरी कराहें…. कि सुन न सके,कोई मेरी आहें। किसी तक न पहुँच सके ये आवाज़, किसी को […]

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(तर्ज-चिठ्ठी न कोई संदेश…) यूँ करके आंखें नम, हम सबको देकर गम, कहाँ तुम चले गए, खुशियों को करके कम,हम सबको देकर गम, कहाँ तुम चले गए….। कुछ तो ही कहा होगा,हमने न सुनी होगी इस गलती की सजा अब क्या यही होगी। तुम देकर दिल पे जख्म,ये है कैसा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।