समीक्षा: परिंदे पत्रिका “लघुकथा विशेषांक” पत्रिका : परिंदे (लघुकथा केन्द्रित अंक) फरवरी-मार्च’19 अतिथि सम्पादक : कृष्ण मनु संपादक : डॉ. शिवदान सिंह भदौरिया 79-ए, दिलशाद गार्डन, नियर पोस्ट ऑफिस, दिल्ली- 110095, पृष्ठ संख्या: 114 मल्य- 40/- वैसे तो हर विधा को समय के साथ संवर्धन की आवश्यकता होती है, लेकिन […]

हां कली ही थी तुम    जो कभी न खिल पायी आंखों में शर्म हया     तुझे उसमें बेटी नज़र नही आई।। कब तलक हम चुप बैठे   घनघोर निंदा करेंगे तुष्टिकरण से जिंदा अपने  सियासत खेल को रचेंगे कौन दिशा में समाज        हमको ले जा […]

क्यूँ इस जहा में हम बेटियों के लिए प्यार नहीं क्यूँ हमसे कोई उम्म्मीद नहीं,हमारा इंतज़ार नहीं। हे धरा ,वसुंधरा हे माँ अवनि ,विकेशी तुझसे हर बेटी अब पूछती है यही। मेरे प्रश्नों का माँ देना उत्तर सही पूछती है ये बेटी आँखे आंसुओ से भरी। क्यूँ धरा पर हमें […]

बातें हों तो साथ हों, बातें कहाँ पूरी होती हैं, सूर्योदय से सूर्यास्त तक शाम से सुबह तक बातें कहाँ पूरी होती हैं? कभी प्यार पर लटकती हैं कभी आकाश में भटकती हैं, कभी बचपन चुराती है कभी यौवन दिखाती हैं बातें कहाँ पूरी होती हैं? आग भी तपाती हैं […]

युवाओ स्वयं को बदल लो करलो खुद का चरित्र निर्माण युवाओं के कंधे पर ही टिका है भविष्य भारत का महान गुरुकुल जैसी शिक्षा अपनाओ गुरुकुल जैसे बने संस्कार गुरु के प्रति अकाट्य निष्ठा रहे माता पिता का करो सत्कार जीवन मे अनवरत तरक्की होगी समाज -देश करेंगे गुणगान। #श्रीगोपाल […]

दुःखी होकर करची बोला, कलम से जमाना बीत गया जब छिलकर मुझे कलम बनाया जाता नित्य लिखने के लिए दवात में डूबोया जाता शब्दों की लेखनी को आकर्षक बनाने का कर्णधार मुझे बनाया जाता। फिर वक्त बदला और कलम तेरा जन्म हुआ मेरी महत्ता घटती गयी शब्दों की आकर्षकता, शालीनता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।