आज पिताश्री का दिन है, तीन सौ पैंसठ दिन में एक बार आता है किन्तु जो पिता हैं उसे कहां याद रहता है। वह तो अपने परिवार की जिम्मेदारियों में ही सालभर खोया रहता है, शायद उसे कोई याद दिला दे एक छोटा-सा कोई उपहार दे झूठ-मूठ का। आप चिंता […]

हर मौसम का आनंद लेता सुविधा सम्पन्न, साधनहीन गरीब का निकल जाता है दम। ग्रीष्मकाल के लुलपट ने प्राण पखेरू उड़ा लिया, भारी वर्षा में इनके शिशु नाले में बहते देखा गया। जब आई शीत ऋतु तो निमोनिया ने निगल लिया। धनी व्यक्ति के घर में एसी मशीन जो लगी […]

धीरे बोलो गुस्सा मत करो, मुस्कराते रहो ये सब तुम सिखा गए। विद्या का ज्ञान संस्कारों का पाठ, सिखाकर डोली में विदा कर गए। बाबुल तुम छोड़कर कहाँ चले गए..॥ त्याग,ममता,स्वाभिमान से जीना सिखा गए , आत्मग्लानि से परे सर उठाकर, जब हम जीना सीख गए, बाबुल तुम फिर भी […]

सफलता की नई सीढ़ी , हमें चढ़ने नहीं देते। मुकामों को नए वो अब, हमें जड़ने नहीं  देते॥ सदा ही दूर ही रहना, यहां इंसान कुछ ऐसे… हमें अपने यहां आगे, कभी  बढ़ने नहीं देते॥ सफलता की नई सीढ़ी, चढ़ेंगे  हम यहाँ यारों। कभी थप्पड़ उन्हीं मुँह पर, जड़ेंगे हम […]

आप हमारे पालक पापा, नेह करे हैं बालक पापा। दें अपना आशीष हमेशा, कौन भला होवे तब जैसा। आज मुझे है संकट भारी, साथ सदा दें आप हमारी। देख रहा हूँ आहट पापा, आप रहे हैं चाहत पापा।                         […]

अहिँसा परमो धर्म हमारा, पर आगे की सुन लो बात। निजरक्षा के हेतु चलाना, आता हमको घूँसा-लात॥ मातृभूमि होती सर्वोपरि, अगर दिखाई उस पर आँख। भूल अहिंसा को जाएंगे, काटेंगे नव अंकुर पाँख॥ शस्त्र और शास्त्र दोनों ही, रामायण गीता सिखलाय। अब तो जागो मीत   हमारे, ‘अवध’ सभी को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।