धूप और धूप ही तो हर तरफ पसर गई। छांव तो बदल ली,छांव जाने किससे डर गई, तीखी धूप लग रही है हाट में-बाजार में। लूटने का चलन देखो सेठ-साहूकार में, छांह की पनाह खोजते गरीबी मर गई। छांव तो बदल ली,ठांव जाने किससे डर गईll लम्बी-चौड़ी बातें करके […]
‘भूख’ अपने-आप में एक स्वाभाविक बीमारी है,जिसकी अतृप्ति का नाम ‘तड़प’ है। इस तड़प को बिना रोक-टोक के ‘बेसहारा’ के यहाँ आश्रय मिलता है और अगर बेसहारा ‘औरत’ हो तो सोने पर सुहागा अर्थात् सदा-सर्वदा के लिए रहने का अधिकार मिल जाता है। एक बेसहारा औरत का जीवन बेहद जोखिम […]
हमने सोचा नहीं, कब ये जाना नहीं इश्क तुमसे हुआ, हमको क्या हो गया जिंदगानी मेरी, थी बड़ी बेजुबां चांद आँगन में उतरा, जवां हो गया। जो थी अब तक कोई, राजदारी मेरी मुझको तुम जो मिले सब बयां हो गया, तेरी नजर मिली या कयामत हुई, दिल ये मासूम […]
भारत महान था,वीरों की खान था, फिर भी भारत मुगलों का गुलाम था। एक राजा दूसरे को मिटाने पर तुला था, इसलिए मेरा देश मुगलों का गुलाम था। भारत सुदृढ़ था,समृद्ध था भरोसेदार था, इसीलिए अन्य धर्मों के पीड़ितों को पाला था। पर उन्होंने ही भारतमाता को लहूलुहान किया, आज […]
तुमको पाने की कोशिश,नाकाम हुई, आगे बढ़ने की हमको भी,फ़ुर्सत नहीं प्यार ही ज़िंदगी में,सभी कुछ नहीं, है फिर भी इबादत से,कुछ कम नहीं। ग़म नहीं जो हैं छूटे,राह में रिश्ते, ये किसी ने तो की ही,शरारत नहीं प्यार पाला था हमने,बड़े नाज़ से, पर तुमने ही की तो,हिफ़ाज़त नहीं। […]
फुटपाथों पर नंगे बदन, कचरे बीनते नन्हें कदम दो पल की खुशी के जतन में, जब बिकती कोई बेटी नादान तब लगता है मरुं मैं,अथवा मारुं पीड़ा, दुःख गरीबी-भूख का कीड़ा। ये समाज की बंदिशें,ये लाचार से लोग, कब मिटेगी क्लान्ति इन धूमिल से चेहरों की, सामान्य,पिछड़ा,अति पिछड़ा, अल्पसंख्यक आदि […]
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।
आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं।
कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।