बैचेन निगाहें तुम्हें ढूंढ रही है, कब आओगे कान्हा ! ये पूछ रही है चढ़ ऊँची अटारी, राह निहारी तुम्हारी आ गया बसंत.. अब बारी है तुम्हारी, मिन्नतें कर-कर मैं तो हारी तुमसे, शरण ले लो अपनी बांके बिहारी मैं तो जनम-जनम की प्यासी दासी तुम्हारी, आ गया बसंत भी […]

कभी अपने से कभी, गैरों से छले गए रिश्ते।             मतलब की कढ़ाही में             तले गए रिश्ते॥ रोते रहे सिसक-सिसक, कर बेचारे अकेले में।             आंसूओं को पीते रहे,           […]

चिंतनो में..स्वार्थ की अब..चढ़ गई हैं अर्गलाएं। और..भावों के..भवन में,वंदिता हैं मेनकाएं॥ हो गई..हमसे विसर्जित,भरत की संतृप्ता। भ्रमित कैकेयी-सी..मन की,रह गई अतृप्ता॥ क्यों न हो..जब..हर महल में,पल रही हैं मंथराएं। आैर..भावों के..भवन में,वंदिता हैं  मेनकाएं॥ भेदने आतुर हुई फिर,वर्जनाएं-वाचिका को। स्वर्ण मृग फिर छल रहा है,सीय की मरीचिका को॥ पंचवटियों […]

शौर्य और ऐश्वर्य युगीन राजा भोज का नाम याद आते ही सत्य,साहस,ज्ञान,कौशल और जलाभिषेक का बोध होने लगता है। सम्यक कालजयी बनकर `भूतो न भविष्यति,राजा भोज यथा दूजा राजा` की मीमांसा में राजा-महाराजाओं के देश में राजा भोज राजाओं के राजा कहलाए। इनके राज में प्रजा को सच्चा न्याय और […]

  भाग ४……………. मुंबई प्रवास के दौरान कितने ही कलाकारों से रूबरू होने का मौका मिला…बी.आर.स्टूडियो में हर रोज तमाम फिल्मी हस्तियों का आना-जाना लगा रहता था…उनके साथ जुड़े अनगिनत यादगार लम्हे हैं,जो स्मृतियों में आज भी ताजा हैं…उन्हें इकठ्ठा करने की कोशिश करूं तो एक खूबसूरत गुलदस्ता बन जाए…l […]

बदला मौसम धूप है भायी वर्षा गई ऋतु जाड़े की आई। सुबह को घना कोहरा छाता, ठण्ड का मौसम दांत बजवाता। मफलर-स्वेटर की हो बात, दिन छोटे से बड़ी है रात। मच्छर-मक्खी छुप गए बिल में, भा गई रजाई सबके दिल में। घूप सुहानी अब लगती है, चाट-पकौड़ों की मस्ती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।