(कासगंज की घटना पर आधारित) छोड़ो छोड़ो अब तो छोड़ो,अहिंसा की राहों को, गद्दारों के हाथ काट दो,या भूलों उन आहों को। सीमा और घर की वेदी पर,कुर्बां ‘राहुल’  होते हैं, ‘चंदन’ जैसे वीर पुत्र को,रोज-रोज हम खोते हैं। जो सीने पे गोली मारे,उनको ये ललकार है, लहराए बस अपना […]

एक प्यारा-सा एहसास है दोस्ती, हर पल में हमारे साथ है दोस्तीl मन का अटूट विश्वास है दोस्ती, इसलिए तो कुछ खास है दोस्तीl बचपन की यादों को, दिल से न जुदा करता वोl जब हमारी याद आए, मिलने की दुआ करता वोl दुआ करते हैं हम भी सिर झुकाए, […]

लहरा लो तुम आज तिरंगा, बहे  मुक्त ज्यों पावन गंगा। माँ ने पूत बहनों ने भाई, वधूओं ने  सिन्दूर चढ़ाई। मिला तब  राष्ट्र प्रतीक यह प्यारा पुण्य पर्व है आज हमारा…। शत्रु ना बुरा नजर कर पाए, चाहे  महाभारत  हो जाए l सवा अरब हम रक्षक इसके, रंग ना तनिक […]

भरोसा माध्यम है मौन रिश्तों की अभिव्यक्ति का, आधार है भरोसा मानव सम्बन्धों का। जब जुड़ता है भरोसा तो, रिश्तों को मिलते हैं नए सुदृढ़ आयाम, लाता है जीवन में खुशियों का संसार, महकती है आशाओं की बगियाँ। मगर जब  कभी गिरती है भरोसे की दीवारें, ढह जाता है सपनों […]

ज्ञान नहीं था जिन्हें किताबों का, न था जिन्हें सदी का पता वो मुझे मुकाम तक पहुंचा गए, ऐसे थे मेरे पिता। संस्कारों की पोटली थी, गृहस्थ जीवन की सीख दी दुनियादारी से जूझना सिखा गए, ऐसे थे मेरे पिता। अपनों के बीच अर्जुन बनो, त्याग के समय देवी बनो […]

  जैसे सुख को काटा तूने, दुःख भी तू हीं काटेगा। औरों की तरह ही ईश्वर, तेरी भी खुशियां बाँटेगा॥ तेरे सब्र की परख भी होगी, पाँव तेरा दुःख चाटेगा। और समय का मरहम लेकर, ज़ख्म तेरा सब पाटेगा॥ आज नहीं तो कल या परसों, या फिर नरसों-बरसों बाद। तेरे  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।