देव को कालेज जाते देख भगती ने कहा, “देव बेटा, तुम्हें याद है ना! आने वाली एकादशी पर उद्यापन करना है.सोचती हूं जितना जल्दी हो सके यह कार्य भी निपटा दूँ. इस बूढ़े शरीर में अब ज्यादा जीने की शक्ति नहीं रही.” “ऐसा क्यों कहती हो माँ? मुझे सब याद […]
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अपनी तमन्नाओं पे शर्मिंदा क्यूँ हुआ जाये एक हम ही नहीं जिनके ख़्वाब टूटे हैं इस दौर से गुजरे हैं ये जान-ओ-दिल संगीन माहौल में जख़्म सम्हाल रखे हैं नजर उठाई बेचैनी शर्मा के मुस्कुरा गयी ख़्बाब कुछ हसीन दिल से लगा रखे हैं दियार-ए-सहर१ में दर्द-शनास२ हूँ तो क्या बेरब्त उम्मीदों में ग़मज़दा और भी हैं अहद-ए-वफ़ा३ करके ‘राहत’ जुबां चुप है वर्ना आरजुओं के ऐवां४ और भी है शब्दार्थ: १. दियार-ए-सहर – सुबह की दुनियाँ २. दर्द-शनास – दर्द समझने बाला ३. अहद-ए-वफ़ा – प्रेम प्रतिज्ञा ४. ऐवां – महल # डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 34
