कितने भी कर ले मुझ पर सितम या दे जमाने भर का गम तेरे लिए सब माफ़ है संग तेरे रिश्ता ही कुछ खास है बना ले चाहे मुझ संग कितनी भी दूरी अपनी भी तो है कुछ मजबूरी खुश रहे या तू रहे उदास अपना दिल रहेगा तेरे ही […]

लो बादल ने खोल दी , फिर गठरी की गीठ | कीचड़ कीचड़ हो गई , है गठरी की पीठ | 1| बिजली  देती  धमकियाँ ,  रही  हवाएं  छेड़ | बादल के आंसू गिरे , लपक रहे हैं पेड़ |2 | बादल   आये   देखने ,    पर्वत   जंगल    बाग | दादुर […]

धान रोपते हैं श्रमिक,उतर खेत के बीच। जैसे अपने खून से,रहे खेत वह सींच।। हरियाली भाती बहुत,निज आँखों को मीत। प्रकृति कहे करिए सहज,हरियाली से प्रीत।। पानी में डूबे हुए,दिखें श्रमिक के पाँव। सिर पर रखकर टोकरी,विचरें श्रम के ठाँव।। धान रोपकर शाम को,जाते अपने गेह। रोजी-रोटी के लिए,करते श्रम […]

अब कहाँ हैं वो झूमते मौसम । हर सू हैं बस बुझे बुझे मौसम । अब दरीचे रहे न वो गलियाँ । न कहीं इन्तज़ार के मौसम । दूर तक छाँव है न कोई शजर । धूप से तिलमिला रहे मौसम । शब के होंठों पे लिख गया कोई इश्क़ […]

सावन, नाम सुनते ही मन में राहत की फुहारें से बरस जाती हैं और मन में तैर जाते हैं उमड़ते-घुमड़ते बादल, कूकती कोयल और पंख फैलाए मोर, सेवीयां, घेवर, बागों में पड़े झूले और पींघ झूलती युवतियों के गीत। भारतीय समाज में सावन केवल बरसात व भीषण गर्मी से राहत […]

मिला एक गुलाब क़िताब के पन्नों में तेरे ख़त के साथ…… कुछ मुरझाया सा और कुछ बेरँग सा तेरी याद के साथ……. महसूस हुआ इक स्पर्श कुछ पहचाना सा तेरे अहसास के साथ…… इक स्पन्दन से दिल हुआ बाग़ बाग़ तेरे आगाज़ के साथ….. धड़कनों ने सुनी इक अनसुनी आहट […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।