आज बारिश में भिगकर भी, तेरे इश्क का पैगाम लिखता हूं। नन्हीं- नन्हीं हर एक बूंदों को, बस तेरे हीं नाम करता हूं।। मैं डरता हूं फिर सहमता हूं , कि इन्हें तेरे पास कैसे? पहुंचाए। नन्ही- नन्ही बारिश की बूंदें, कहीं? धराविलिन न हो जाएं।। यदि धराविलिन हो गई […]
