देखो आया, सावन झूम के मही स्वर्ग , खिल उठा जीवन धन्य हो गया है व्याकुल मन! बादल है यूं छाया, वन समीर भी गुनगुनाया। टिटहरी,पपीहा,चातक विह्वल, देखकर, कजरारे घन। नीरद के नयन चपल है, भूल चुका जग सकल है। शिखरों से झुका देखता, धरा-प्रियतमा उसकी विकल है। सुदूर क्षितिज […]
