हल्दीघाटी समरांगण में, सेना थी दोनो तैयार। मुगलों का भारी लश्कर था, इत राणा,रजपूत सवार। भारी सेना थी अकबर की, .        सेनापती मुगलिया मान। भीलों की सेना राणा की, .      अरु केसरिया वीर जवान। आसफ खाँन बदाँयूनी भी, .     लड़ते समर मुगलिया शान। शक्ति सिंह भी बागी होकर, .     थाम […]

ये शीराज़ा तो घड़ी भर में बिखर जाएगा किसे मालूम है कल कौन किधर जाएगा ========================== जो मोम होगा पिघल जाएगा इस आग में वो सोना होगा जो कुछ और निखर जाएगा ========================== गुनाहों  से  यूँ   दागदार  है  तेरा  चेहरा कि तू अक्स अपना देखकर डर जाएगा ========================== शाख से […]

एक सेठ ने एक लड़के को इस शर्त पर नौकर रख लिया कि यदि आपने ईमानदारी से काम किया तो 1000 रुपये महीना वेतन मिलेगा। यदि ईमानदारी से काम नहीं किया तो दस दिन के बाद बिना कोई वेतन दिये यहाँ से भगा दिये जाओगे। लड़के ने बड़ी ईमानदारी से […]

शीला के माता पिता शहर में रहते थे l उसकी शादी गाँव के एक सम्पन्न परिवार में हुई l उसके पति घर के इकलौते बेटे थे l वह उस परिवार में बहुत खुश थी l शादी के कई वर्षों बाद उसको एक बेटा हुआ जो उसके  कई जगह मन्नत माँगने […]

परमात्म निमित्त दान करो दान का न गुणगान करो दाता स्वयं को न मानिए अहंकार न कोई पालिये जिसने दिया वह खुदा है पर नाम से अपने जुदा है उसी पथ को हम अपनाये गुप्त दान ही करते जाएं यही धन की सदगति है पुण्य भाव की व्रद्धि है। #गोपाल […]

आँखों में सँभालता हूँ पानी आया है प्यार शायद ख़ुशबू कैसी, झोंका हवा का घर में बार बार शायद रात सी ये ज़िंदगी और ख़्वाब हम यूँ बिसार गए बार बार नींद से जागे टूट गया है ए’तिबार शायद सिमटके सोते हैं अपने लिखे ख़तों की सेज बनाकर माज़ी की यादों से करते हैं ख़ुद को ख़बरदार शायद कुछ रोज़ की महफ़िल फिर ख़ुद से ही दूर हो गए लम्बी गईं तन्हाई की शामें दिल में है ग़ुबार शायद हमारा दिल है कि आईना देख के ख़ुश हुआ जाता है सोचता है वो आये तो ज़िंदगी में आये बहार शायद उठाए फिरते हैं दुआओं का बोझ और कुछ भी नहीं वक़्त में अब अटक गए हैं हौसले के आसार शायद सारी उम्र इन्तिज़ार करें तो कैसे बस इक आहट की अरमाँ तोड़ने का ‘राहत’ करता है कोई व्यापार शायद #डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ Post Views: 32

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।