देश की खतिर दिल को तोड़े, घर अपना ये खुद ही छोड़े। कितने अरमा कितने सपने, ख्वाब सजाए दिल में कितने। याद सताए जब अपनों की, लिखी है पाती फिर सपनों की। मन बंजारा इत-उत डोले, पी की याद में मन ये बोले। लिख दूँ खत मैं तुमको जाना, मुश्किल […]
है नहीं सिर्फ नदी ब्रह्मपुत्र, यह ब्रह्म का पुत्र है है इसलिए यह एक नद्य, यह है दर्शन समन्वय का। हुआ इसके तटों पर, कई संस्कृतियों व सभ्यताओं का मिलन। आर्य-अनार्य,मंगोल-तिब्बती, बर्मी-द्रविड़,मुगल-आहोम के मिलन और टकराहट का, गवाह है यह ब्रह्मपुत्र। है इसकी कई उपनदियाँ, सुवनश्री,तिस्ता,तोर्सा लोहित,बराक,धनश्री। है महाबाहु यह […]