“बस अब और नहीं” सह लिया,सहना था जब। नवउमंग से,बढ़ना है अब। मंज़िल तक,कोई ठौर नहीं। बस अब और नहीं।। संचित ऊर्जा के,दोहन का। समय सुनहरा,है जीवन का। निराशा का कोई दौर नहीं। बस अब और नहीं।। जीवन संगीत है,मधुर ताल है। लक्ष्य प्राप्य है,चाहे विशाल है। सुनना विरोधियों का,शोर […]
हर्षवर्धन प्रकाश रिश्तों में अकेली स्त्रियां बांटती हैं प्रेम; ढूंढती हैं प्रेम। रिश्तों में अकेली स्त्रियां चाहती हैं एक लम्हा छांह; एक लम्हा वक़्त; एक लम्हा प्रेम। (हर्षवर्धन प्रकाश) कवि परिचय : हर्षवर्धन प्रकाश इंदौर (मध्यप्रदेश) – भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से एम.एस-सी (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) […]
