मेरे गीतों की सुनकर आवाज़ तुम। दौड़ी चली आती हो मेरे पास। और मेरे अल्फाजो को अपना स्वर देकर। गीत में चार चांद तुम लगा देती हो।। लिखने वाले से ज्यादा गाने वाले का रोल है। चार चांद तब लग जाते है गीतों में। जब मेरे शब्दों को दिलसे तुम […]

22 22 22 22 सूरत कैसी सीरत कैसी दिल में है ये फ़ितरत कैसी वो देता पेड़ो में फल भी सोया क्यूँ है ग़फ़लत कैसी कब जाने रुख़्सत हो जाये दुनिया से ये उल्फ़त कैसी महका दामन खुशियाँ आयी मेरे आने से आफ़त कैसी मेरे दिल में आओ अब तुम […]

राम से बड़ा कोई नही अहंकार ज़रा भी नही सर्वशक्ति के स्वामी है विनम्रता में सानी नही मर्यादा का खजाना है उनसे बड़ा दानी नही राजनीति से बड़े है वे सृष्टि थामे खड़े है वे जो राम से बड़ा दर्शाते हैं रावण वे ही कहलाते है सत्ता आज है कल […]

बूँद-बूँद अनमोल जल की कीमत मत तोल सोच समझकर नीर बहा कभी व्यर्थ न इसको बहा जल बिन न जीवन जल ही है सब तन मन धन रे मनुज तू जा सँभल अमृत से कीमती जल पृथ्वी की हर हलचल संभव करता है जल प्राकृतिक संसाधन सँवार बहती रहेगी नदिया […]

कलियुग के भगीरथ के हाथों राम की जन्मभूमि का पुनरुत्थान सन 1528 का वो दृष्य जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने “दोहाशतक” में लिखा वो इतिहास में पढ़ते-पढ़ते भारत की लगभग 20 पीढ़िया परलोक चली गई। लेकिन हर आने वाली पीढ़ी को उस काले अध्याय को अंत करने की प्रेरणा भी […]

व्यथान्जलि एक बड़ी वेदना की सच्ची अभिव्यक्ति है..वारांगना काव्यसंग्रह न होकर युगों की पीड़ा का कोमल चित्रण है…वारांगना कौन के प्रश्न के उत्तर में कवि स्वयं लिखता “स्त्री होकर स्त्रीत्व हारती..जग में रहकर खुद को मारती” कैसे के जवाब को ऐसे निरूपित किया- छूटा बचपन अल्हड़ जवानी..दहलीज पर भूख उसे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।