सवेंदनाएँ शून्य हो गयी,कविताएँ मरने लगी है! रक्तिम स्याही वाली कलमें, निरंकुशता पर मौन धरने लगी है! कवि धर्म बिक गया सभा में,दरबारों की गाथा लिख-लिख! कविता की रोटी सिक रही नित,अधरों को भाग्य विधाता लिख-लिख! कविताएँ निस्तेज हो रही, सत्ता के घर में सो रही! कविताएँ अब हास्य हो […]

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मैं हिंदी देश का वासी हूँ, पर अंग्रेजी भाषी हूँ! जब मद-महफ़िल में होता हूँ, डूड पुकारा जाता हूँ। आधी रात गए जब नाईट पार्टी से घर आता हूँ, सामने वाली खिड़की से चिरकुट पुकारा जाता हूँ। कभी फ़ेसबुक,कभी व्हाट्सएप, कभी यूट्यूब में फिरता हूँ, भोर पहर डॉगी को लेकर […]

जहाँ है गंगा की उर्मिल धारा, जहाँ ध्रुव कोई बन जाए तारा जहाँ शून्य है जन्मा, जिसे जाने जहां सारा जिसके भाल पर शोभित पर्वतराज है न्यारा, जहाँ है स्वयं गिरधर ने कोमल पांव पखारा जिसके ओज से यहाँ औरंगजेब है हारा, जहाँ पाकर ज्ञान की अमृत बना ‘कवि’ कालिदास […]

हमारे गांव में सुबह से ही लोगों का जमावड़ा लगा था,चुनावी प्रचार के सिलसिले में नेता जी आने वाले थे। उनके साथ कोई अदाकारा भी आएंगी! लोग आपस में चर्चा कर रहे थे। जिन लोगों ने कभी अपने गांव की कच्ची सड़कों पर मोटर कार नहीं देखा आज वो हेलीकॉप्टर […]

जिन्दगी कोयले पर जलते भुट्टे सी है… जितनी मद्धम आँच मे पकेगी उतना ही स्वाद देती है… कुछ विश्वासघात का  नमक और कुछ चालाकियों का नींबू मल दो तो बात और  लजीज होगी.. 2. कविता हृदय में किताबों  मे लगे दीमक सी होती है। जो तब तक कुतरती है जब […]

कितनी मिथ्यावादी होती है न माँयें… बेटा कोमल ममता को ठुकराता है तो चुल्हे पर बैठकर आँसुओं का सारा दोष धूँयें को देती है.. छोडकर दुत्कार कर चला गया साथी.. अन्धाधुन्ध द्रान्ती चलाती घास काटती माँये आँसुओं का सारा दोष तिनके को देती है। कितनी मिथ्यावादी होती है माँयें… मूँह […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।